NEET Success Story: फुटपाथ पर मोबाइल कवर बेचने वाले रोहित कुमार अब बनेंगे डॉक्टर, जानिए संघर्ष की कहानी

Rohit Shaw
5 Min Read

NEET Success Story: रोहित कुमार का नाम आज हर उस छात्र के लिए उम्मीद की किरण बन चुका है जो जीवन में कठिनाइयों के बावजूद कुछ बड़ा करना चाहता है। जमशेदपुर की गलियों से निकलकर देश की सबसे कठिन परीक्षा NEET UG को पास करना कोई आसान काम नहीं होता। लेकिन रोहित की जिद, जुनून और कड़ी मेहनत ने इस असंभव को भी संभव बना दिया।

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NEET Success Story

गरीबी, सीमित संसाधन और जिम्मेदारियों के पहाड़ के बीच भी रोहित का सपना कभी नहीं टूटा। फुटपाथ पर मोबाइल कवर बेचते हुए दिन निकालना और फिर रात में पढ़ाई करना, ये उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया था। जब लोग रात को चैन की नींद सो रहे होते थे, तब रोहित 3 बजे तक किताबों में डूबे रहते थे। उनके लिए हर दिन संघर्ष का एक नया अध्याय होता था – लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

NEET Success Story: फुटपाथ पर मोबाइल कवर बेचने वाले रोहित कुमार अब बनेंगे डॉक्टर, जानिए संघर्ष की कहानी

आर्थिक तंगी और सीमित संसाधनों का असर

रोहित का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था, जहां दो वक्त की रोटी भी कई बार संघर्ष से मिलती थी। उनके पिता एक छोटी सी दुकान चलाते थे, और मां गृहिणी थीं। घर में इतने पैसे नहीं थे कि किसी प्राइवेट स्कूल में दाखिला दिलाया जा सके, या कोचिंग क्लासेज का खर्च उठाया जा सके। लेकिन रोहित को पढ़ाई का जुनून था।

स्कूल की किताबें अक्सर दूसरे बच्चों से उधार ली जाती थीं। कई बार बिजली न होने की वजह से स्ट्रीट लाइट के नीचे बैठकर पढ़ाई करनी पड़ी। मोबाइल या लैपटॉप जैसी चीजें तो उनके लिए एक सपना थी। उनके पास एक पुराना मोबाइल था, जिससे वे ऑनलाइन लेक्चर्स देखते थे, लेकिन नेट रिचार्ज के लिए भी पैसे जुटाना मुश्किल हो जाता था।

इन तमाम मुश्किलों के बावजूद रोहित ने कभी भी हालातों को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। उन्होंने हर चुनौती को एक अवसर की तरह लिया और लगातार अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे। रोहित का मानना है कि “अगर किसी चीज़ को दिल से चाहो, तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने में लग जाती है।

शिक्षा के लिए जिद और जुनून

जहां दूसरे बच्चे छुट्टी के दिन खेलने जाते हैं, वहां रोहित अपनी दुकान पर बैठकर मोबाइल कवर बेचते थे। लेकिन उनकी आंखों में जो चमक थी, वो उनके सपनों की गहराई को दर्शाती थी। पढ़ाई के लिए उनकी जिद इतनी मजबूत थी कि दुकान पर खाली समय में भी वे नोट्स पढ़ते रहते थे।

घर लौटने के बाद वे खाना खाकर फिर से पढ़ाई में जुट जाते थे। रात 12 से 3 बजे तक उनका स्टडी शेड्यूल फिक्स था। ये वो वक्त था जब पूरा मोहल्ला सो रहा होता था, लेकिन रोहित की पढ़ाई चालू रहती थी। उनके लिए NEET सिर्फ एक एग्जाम नहीं, बल्कि गरीबी की चेन तोड़ने का ज़रिया था।

दिन में दुकान, रात में किताब

एक तरफ मोबाइल कवर की दुकान, दूसरी तरफ मेडिकल की पढ़ाई – ये दोनों एक साथ मैनेज करना आसान नहीं था। लेकिन रोहित के लिए ये ज़रूरी था, क्योंकि दुकान से मिलने वाले पैसों से ही घर चलता था। सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक वे दुकान पर बैठते थे। ग्राहक आने पर उन्हें सामान दिखाना होता था, सौदेबाज़ी करनी होती थी, और फिर सामान पैक करना होता था।

इस बीच वे किताब साथ लेकर बैठते थे। जब ग्राहक नहीं होते, तब पढ़ाई करते थे। कई बार ग्राहक मजाक उड़ाते थे कि “डॉक्टर बनने चला है, और मोबाइल कवर बेच रहा है!” लेकिन रोहित ने कभी इन बातों को दिल से नहीं लगाया। वे जानते थे कि उनका लक्ष्य क्या है।

3 बजे रात तक की पढ़ाई

पढ़ाई के लिए जो सबसे बड़ी कुर्बानी रोहित ने दी, वो थी उनकी नींद। जहां लोग 8 घंटे की नींद को ज़रूरी मानते हैं, वहीं रोहित रोज़ाना सिर्फ 4-5 घंटे ही सोते थे। रात 12 बजे से 3 बजे तक उनका फोकस टाइम होता था – बिना किसी डिस्टर्बेंस के पढ़ने का सबसे बढ़िया वक्त।

वे कहते हैं, “रात की शांति में जो कंसंट्रेशन मिलता है, वो दिन में नहीं मिलता।” उन्होंने इस टाइम को पूरी तरह से utilize किया। खुद से छोटे-छोटे टारगेट सेट किए और उन्हें पूरा करने के लिए अपना सब कुछ झोंक दिया।

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Hi, I'm Rohit, the founder and lead content writer at CareerUp360.com. With over 4 years of experience in writing about government jobs, career updates, exam notifications, and employment news, I’m dedicated to helping job seekers across India stay informed and succeed in their career journey.
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